बस्ती 12 मई 2020,ई o ते o,रमजान में कुरान की तिलावत, नमाज की अदायगी, एतिकाफ, फितरा देना, इफ्तार और सहरी की तैयारियां आम होती हैं। इन 30 दिन के रोजों में मुसलमान इन इबादतों को कर अल्लाह के नजदीक पहुंचने के लिए उन्हें याद करता है। इस दौरान गरीबों और मजलूमों की मदद करना भी रमजान की अहम इबादतों में से एक है। इसमें जरूरतमंदों की मदद करना इस्लाम मजहब का खास संदेश है
इस माह रमजान के बारे में मक्का मस्जिद व मदरसा अहलेसुन्नत तालीमुल कुरान घरसुहिया के इमाम कारी असलम कादिरी ने बताया कि रोजा अच्छी जिंदगी जीने का तरीका है। इसमें इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इंसान का जमीर रोजेदार को एक नेक इंसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी हर बात की तरबियत देता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की कहानी भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के इर्द गिर्द घूमती है। रोजा इन तीनों चीजों पर सब्र रखने का पैगाम है। रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख, दर्द और भूख, प्यास को समझने का महीना है ताकि रोजेदारों में भले बुरे को समझने की सलाहियत पैदा हो।